हर देशभगत को आरक्षण का विरोध करना चाहिए।
देश सशक्त हो और आगे बढे शायद यही एक सच्चे देशभगत की चाहत होती है। देश आगे तब बढ़ेगा जब उसके संसाधनों का उचित (efficient) उपयोग होगा। अगर हम मानव संसाधन की बात करें तो 'आरक्षण' प्रथमद्रष्टया इस एफिशिएंसी (दक्षता) के सिद्धांत से असंगति रखता है (मेरिट लिस्ट का उल्लंघन करता है), और इसीलिए देश के विकास में बाधक प्रतीत होता है । अतःव, सामान्यतः देशप्रेमी आरक्षण रुपी व्यवस्था का विरोधी करते है। भारत मे नौकरियों में आरक्षण, शिक्षा में आरक्षण, और विधायिका में आरक्षण कुछ आरक्षण है जो अक्सर चर्चा में रहते है । परंतु यही तीन आरक्षण नही है जिनपर देशप्रेमियों को गौर करना चाहिए। अन्य कुछ गंभीर किस्म के आरक्षण भी है जो दक्षता के सिद्धान्त का घोर उल्लंघन करते है और देश के विकास में बड़ी बाधा हैं। दक्षता के सिद्धांत को राष्ट्रीय क्रिया कलापों के मूल सिद्धांत के रूप में प्रतिस्तापित कर देने की चाहत में देशप्रेमी आजकल सरकार द्वारा पक्की नौकरी दिए जाने की नीति का विरोध करते हैं। सरकारी कर्मचारी एक साक्षात्कार या परीक्षा देकर 30 से 40 साल के लिए देश के विकास को निर्धारित कर...