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निजीकरण में विकास ढूंढने का ज्ञान। नकली और बर्बाद करने वाला।

बाजार या निजीकरण की परम अभिव्यक्ति, तीन कृषि कानूनों, का पूरा क्रूर रूप समझना हो तो हमे अफ्रीका का रूख करना चाहिए। इसी तरह की नीतियों से अफ्रीका पूरे तरीक़े से बर्बाद हो गया है । बहुत शोध है इसपर। बस एक  संक्षिप्त रिपोर्ट  देखिए। एक और मिथक बड़े जोरदार तरीके से प्रसारित किया जाता है कि  प्राइवेट सेक्टर करप्शन का हल है और एफिशिएंसी लाता है। 141 देशों में किया गया एक विस्तृत अध्ययन ब हुत स्पष्टता से स्थापित करता है कि विकासशील देशों में प्राइवेट सेक्टर करप्शन को बड़े पैमाने पे बढ़ाता है  [ पूर्ण लेेेख ]। वहीं अध्ययनों की पूरी श्रृंखला ये स्थापित करती है कि प्राइवेट सेक्टर पब्लिक सेक्टर से ज्यादा एफ्फिइंट नहीं । मजेदार रूप से इतने विस्तृत अध्ययनों का कोई चर्चा भारत के किसी मीडिया ने नही किया। भारत का मीडिया तो ये भी चर्चा नहीं करता कि कॉर्पोरेट सेक्टर भारत मे व्यवहारिक ही नहीं है, सरकार ने पिछले पांच सालों में ही कॉरपोरेट को  लगभग सवा चार लाख करोड़ की सब्सिडी दी है। भला एफ्फिइंट सेक्टर को देश के सामाजिक विकास के बजट से ज्यादा की सब्सिडी की क्या ही आवश्यकता। ऊपर से...