'जनता दोषी है' आंकलन: एक खोखली बात
जनता एक व्यक्ति नही है, एक बड़ी जनसंख्या है जिसमे भारी विविधता होती है। जनता के व्यवहार को भेड़ो के व्यवहार से भी समझ सकते है और पानी की प्रकृति से भी। जब भी तत्काल कुछ मौका (रोकटोक न हो) दिखाई देता है तो लोग वहाँ को चल देते है। पहले एक आगे बढ़ता है और अगर उसका कुछ नहीं बिगड़ता तो और भी उस तरफ बढ़ जाते हैं। आधुनिक समाज मे कानून की स्पष्टता और कायदे-कानून के बेहतर पालन की स्थिति ही सामान्यतः जनता के (एक व्यक्ति का नही) व्यवहार का सबसे प्रभावशाली कारक है। जनता अधिकतर कानून की जमीनी स्थिति के अनुसार ही व्यवहार करती है, उससे अलग नही। जनता का व्यवहार गड़बड़ाता ही तब है जब कानून अस्पष्ट होता है या ठीक तरह से लागू नही हो रहा होता। जनता के व्यवहार पर व्यवस्था के प्रभाव को निम्न उदहारण से बेहतर समझा जा सकता है।🔽 कारों का दौड़ा के आगे ले जाना और जाम की स्थिति बना देना, हमारे हाईवे और क्रोसिंग्स पर पढ़े लिखो (जिनसे आशा की जाती है कि वे कानून से आगे निकलकर एक समझदारी भरा व्यवहार करेंगे) के व्यवहार में रोज दिखता है। वहीं पढ़े और बेपढ़े सब व्यवस्थित व्यवहार करते है जब वे दिल...