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अवैध निर्माण: राजकाज का बेहतरीन औजार

कानून सख्त बनाइये, इतना सख्त के अगर उसका उल्लंघन हो जाये तो सब कुछ बर्बाद कर देने की ताकत रखता हो। आम आदमी, जिसे व्यवस्था की बारीकी कम ही समझ आती है, वो अक्सर इतने से ही बहुत इम्प्रेस हो जाता है। अब कानून के पिलपिलेपन या नजरअंदाजी की प्रक्रिया शुरू कीजिए। मतलब, कानून अपनी जगह पे रहे, पर नियामक का स्मृतिलोप हो जाये और उन्हें ध्यान ही न रहे कि ऐसा कोई कानून भी है जिसके अनुपालन की जिम्मेदारी उन पर है। चूंकि स्मार्ट लोग (जिन्हें प्रैक्टिकल भी कहा जाता है) व्यवस्था के मूड पर अक्सर बारीक नजर रखते है, ऐसे में वो समझ जाते है कि अब समय है निर्माण का।  जब  ऐसे तथाकथित 'अवैध' निर्माण जनता की नजर में आते है तो वो अक्सर स्मार्ट लोगों को कोसती है और अपने मे स्मार्टनेस की कमी पर दुखी होती है। अक्सर 'जोखिम ही जीवन है' ज्ञान की वैधता भी तभी स्थापित होती है। जब अवैध निर्माण ठीकठाक मात्रा में हो चुका होता है तो ऐसे में राजा साहिब के जागने का वक्त होता है। यदा 2 ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः। अभिउथानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम। लगभग लगभग कृष्ण की तरह धर्म (कानून) की रक्षा हेतु, राजा साहि...