सकारात्मक बनाम नकारात्मक: 'सत्य' ही एकमेव निर्धारक
सकारात्मक क्या है, और नकारात्मक क्या है, ये समझना काफी मुश्किल काम है, भले ही हम अधिकतर बातों को सकारात्मक बनाम नकारात्मक में वर्गीकृत करने के आदि है। हम न सिर्फ बातों को अपितु दृष्टिकोण को, और व्यक्तित्वों को भी, नकारात्मक और सकारात्मक के रूप में वर्गीकृत करते रहते है। ये सब मनोविज्ञान विषय के उत्पादों से उपजी आधुनिक जीवन की हमारी समझ है जो बहुत बार गलत होती है। सामान्यतः, सकारात्मक बात उसे कहते है जो घटित हो रही घटनाओं का समर्थन करती हो (ऐसी घटनाएं जिनसे सीधे सीधे या तुरंत कोई नुकसान दिखाई नही देता हो) और, नकारात्मक उसे कहते है जो घटित हो रही घटनाओं को रोकने का समर्थन करती हो (ऐसी घटनाओं को जिनमें सीधे सीधे या तुरंत कोई नुकसान दिखाई नही देता हो)। इस प्रकार आगे बढ़ना, कुछ करना (किसी प्रकार का एक्शन) सब सकारात्मक बताया जाता है वहीं किसी भी एक्शन के दुष्परिणामों की विवेचना को एक्शन को रोकती नकारात्मक बात करार दिया जाता है । इस बात को भौतिक उदहारण से समझें तो किसी वाहन की रफ्तार (एक्शन) सकारात्मक है और ब्रेक (एक्शन को रोकना) नकारात्मक है। ये भौतिक उदहारण हमे स्पष्ट करता ह...