'नो ऑप्शन' का खेल

 

A,B,C, और D चार विकल्प है।


सोशल मीडिया के विशेषज्ञ बताते है A, अक्लबन्द है B बावला है,  और C चोर है। 


अबोध ये सोचकर की D के बारे में कोई जानकारी नही मिली इसलिए वह फिर सोशल मीडिया का रुख करता है।


अब विशेषज्ञ बता देता है।


A  अंधा है, B बेहरा है और C काना है।


अबोध  D के बारे में जानकारी के लिये फिर सोशल मीडिया का रुख करता है।


अब विशेषज्ञ बताता है।


A आलसी है, B भोंडा है और C   चालाक है।


दो चार ऐसे ही दौर चलने के बाद, तार्किक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर अबोध निष्कर्ष निकाला ही लेता है।


चूंकि

A= अक्लबन्द, अंधा, अलसी...

B = बावला, बेहरा, भोंडा ...

C= चोर, काना, चालाक, ...


तो ये तो खारिज हो गए।


अब अबोध के पास ऑप्शन  ही क्या है। 


पर D के बारे में तो जानकारी ____  (ब्लेंक) है।


जब ऊपर के तीन ऑप्शन खारिज हो गए और इतना मानसिक प्रयास कर लिया


 तो  

 ____(ब्लेंक) अबोध खुद ही भर लेता है।


इंसानी प्रकृति के अनुसार अपने चुनाव को अबोध प्राकृतिक रूप से


देवता, दिव्य, दयालु ही भरेगा,


 भले ही D डाकू हो, डरावना हो, और धृष्ट हो।


अबोध मारा गया।

और

विशेषज्ञ ने न झूठ बोला और न गलत जानकारी दी।


अश्वत्थामा मारा गया, .......।

अश्वत्थामा मारा गया, .......।।


अबोध मारा गया।

अबोध मारा गया।।


🙏🏻

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