प्राइड ले लो प्राइड। ... (लघु कथा)

'प्राइड ले लो प्राइड।

सवा किलो प्राइड।...'


हरकारा चिल्ला रहा था।


दिमाग घूमा, 

अरे!! 

प्राइड कितना मुश्किल होता है आम जिंदगी में, लाख जतन करते है तब एक नौकरी मिलती है, मन प्राउडी होने को होता है, तभी पता लगता है कि सा.. पड़ोसी तो बहुत बड़ी नौकरी पा गया। बस सब हवा निकल जाती है, प्राइड महसूस ही नही हो पाता। 


इस सब धुंदली सी विचारधारा में बह ही रहा था कि हरकारे की आवाज ने फिर ध्यान खींच लिया। 


हरकारा शायद कोई फिलॉस्फर ही था।  वो चिल्ला रहा था..


'..एक बावले ने कुछ एक्सपेरिमेंट करे थे सच्चाई पर। वो लोगो को और इस देश को दुनिया जहान की बीमारियां दे गया

लोग सारी जिंदगी मेहनत करते, बच्चों को पढ़ाते, घर बनाते, जब सब चीजों से मुक्त हो जाते, तब थोड़ा बहुत प्राइड का एहसास कर पाते। 

वो भी हल्के वाला।

 ऐसा जो किसी को अखरे नही। 

क्यों?? 

क्योंकि उस बावले के प्रभाव में लोग, सत्य की खोज, प्रेम और भाईचारे पर बहुत जोर देते थे।  अब आप ही बताओ भला प्राइड इन सब बातों के बीच कैसे महसूस हो सकता है।

प्राइड तो वो अंतिम सुख है जो हमे विशेष बनाता है, सबसे अलग, सबसे निराला। ये भाव ऐसा ही है जैसे रत्नों की पूरी श्रृंखला में हीरा। अलग ही चमकता है, अलग ही तरह का सुख देता है। एक पूर्णता का सुख। बाकी सब सुख बहुत छोटे हैं इस सुख के आगे।...'


बात सही सी लगी तो मैं हरकारे की बात को और गौर से सुनने लगा।


वो कह रहा था


'... गुजरात ब्रोदर्स और हमारी रजिस्टर्ड कंपनी के 70 साल के दीर्घकालीन प्रयोगों  के चलते आज हम एक ऐसा प्राइड उत्पाद आप के बीच ला सके है जो बेहद सस्ता है और प्रचुरता से उपलब्ध है । आप उसे ऑफ लाइन तो ले ही सकते है, आप उसे ऑन लाइन भी ले सकते हैं। 

अखबार से लीजिए, चाहे साइट्स से लीजिए, हर जगह मिलेगा हमारा नायाब प्राइड

आधा किलो अतिरिक्त टैक्स पर हम पांच किलो प्राइड दे रहे हैं।

पौने किलो की पैनल्टी पर, तीन किलो प्राइड। 

पाव भर महंगी बिजली पर दो किलो प्राइड।

बस ध्यान रहे, असली प्राइड हमारी मार्का कंपनी ही देती है।..'


'...हम नई स्कीम भी लाये हैं, आप अपने बच्चों की थोड़ी सी शिक्षा हमारे चिन्हित स्टोरों से खरीद लीजिए, और हमारे यहाँ से बहुत सारा मुफ्त प्राइड ले लीजिए।

या,

 हमारे चिन्हित स्टोर से अपना स्वास्थ खरीद लीजिए, बोनस में आपको बहुत सारा शुद्ध प्राइड मिल जाएगा।..'

'...ऐसा नही है कि प्राइड मुफ्त नही मिल सकता। पर इतनी बड़ी डिस्ट्रीब्यूशन चेन को चलाना और  देश के विकास में इस  व्यवस्था की महती भूमिका के चलते मुफ्त में प्राइड तो गलत ही होगा।'


'आप मानेंगे की कोई भी देश तब ही महान बन सकता है, जब उस देश के लोग महानता का एहसास करें। लोगों के मनोभाव से अलग देश का कोई अस्तित्व नही होता। 

आज हमारी कंपनी के उत्पाद के चलते सारा देश प्राइड महसूस कर रहा है, और देखिए तभी एक कभी  बोदा (कमजोर) सा माना जाने वाला देश एकाएक उठ खड़ा हुआ है और महान देशों की कतार में सीना तान के खड़ा है

इस सब के लिए थोड़ा खर्चा-हर्जाना तो अखरना नही चाहिए,

 और 

फिर इतना मुश्किल जज्बात और इतनी आसानी से उपलब्ध।  

थोड़ा बहुत खर्चा तो मन को सकूंन ही देगा, जैसे देश के विकास में दिया गया दान देता है।'


'प्राइड ले लो प्राइड।

सवा किलो प्राइड।'


आवाज मद्धम हो चली थी, हरकारा गली के दूसरे छोर पर पहुंच गया था।


मैं एकाएक हड़बड़ा गया, जैसे किसी ने गहरी नींद से मुझे जगा दिया हो। 

प्रतिमान विस्थापन हो चुका था।

में हरकारे के पीछे दौड़ पड़ा।


रुको भाई। मुझे भी दे दो आधा किलो प्राइड

🙏🏻

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