बड़ा गुब्बारा
मन बहुत लगाता है बड़ा गुब्बारा।
पर गुब्बारा खुद कुछ नही करता।
सब गुब्बारे के मालिक किया करते है,
भाव जो गुब्बारे पर दिखते है,
और जो अक्सर तमाशे में शामिल लोगों के मन को छूते है।
वो भी उकेरे होते है गुब्बारे के मालिकों के द्वारा।
पूरी व्यवस्था होती है इस तमाशे में,
इवेंट मैनेजर से लेकर जेब कतरों तक।
गुब्बारे का अपना कुछ नही होता,
वो न किसी की जान बचा सकता है,
न सोच समझ सकता है,
और न मानव भाव होते है उसमें,
इस तरह से वो पूर्णतः निरपेक्ष होता है,
एक पूर्णता को प्राप्त किये व्यक्ति की तरह।
पर
मन बहुत लगाता है गुब्बारा।
जीवन नश्वर है,
सब सुख-दुख छणिक हैं,
सारे आंकलन और सारा ज्ञान थोड़े दिनों के काम का है।
जीवन मे बस मन ही एक बड़ी चीज है।
जो जीवन वैतरणी को पार लगाता है।
अतः
मन लगाए रखिये,
गुब्बारे का तमाशा देखते रहिये।
🙏🏽
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